मंगल का बड़ा त्याग
मंगल, जो अपनी सादगी और मेहनत के लिए जानी जाती है, जज के सामने झूठ बोलती है कि नायसा ने उसके फूलों की सिलाई में मदद की थी, जब सिर्फ दो मिनट का समय बचा था। यह देखकर कुसुम सुधेश से कहती है कि ऐसे बारीक और सुंदर फूल सिर्फ मंगल ही बना सकती है। वह साफ-साफ दर्शाती है कि मंगल सच में अपनी प्रतियोगी नायसा को फाइनल राउंड तक पहुंचाने में मदद करना चाहती थी। आमतौर पर, कोई और इस मौके का फायदा उठाकर नायसा को हरा सकता था, लेकिन मंगल ने इंसानियत का रास्ता चुना।
प्रशंसा और आलोचना का दौर
जज मंगल की दरियादिली की तारीफ करते हैं, लेकिन दर्शक उसे मूर्ख मानते हैं कि उसने इतने अहम मौके पर अपनी जीत की संभावना खुद बर्बाद कर दी। हालांकि, नायसा खुद मंगल का धन्यवाद करती है, यह कहते हुए कि उसकी मदद ने न सिर्फ ड्रेस को बचाया, बल्कि उसका करियर भी बचा लिया। मंगल जवाब देती है कि खिताब उसी को मिलेगा जो सच में उसका हकदार होगा।
मंगल की अप्रत्याशित जीत
सबको हैरान करते हुए जज मंगल को विजेता घोषित करते हैं। अदित खुशी से झूम उठता है, जबकि सौम्या सवाल करती है कि मंगल ने आखिरकार जीत कैसे हासिल की। इशाना को यकीन नहीं होता कि उसकी मां ने खिताब अपने नाम कर लिया। मंगल भावुक हो जाती है, और जज उसकी नायसा की मदद करने की तारीफ करते हैं। इसी बीच, नायसा को अचानक चक्कर आ जाता है, और दूर खड़ा निकिथ यह सब देख रहा होता है। जज मंगल को ताज और ट्रॉफी देते हैं, लेकिन तभी नायसा मंच पर गिरकर बेहोश हो जाती है।
साजिश का खुलासा
टीम नायसा को अस्पताल ले जाती है, लेकिन मंगल को साथ जाने से रोक दिया जाता है। परेशान होकर वह अपने परिवार को फोन करके समर्थन मांगती है और कुसुम से बच्चों को घर ले जाने को कहती है, क्योंकि वे डरे हुए हैं। बाद में, मंगल नायसा से मिलने अस्पताल जाने की इच्छा जताती है, लेकिन इससे पहले कि वह निकल सके, पुलिस जांच के लिए पहुंच जाती है।
निकिथ की साजिश
निकिथ, जो सब कुछ देख रहा था, मानता है कि भले ही मंगल ने जीत हासिल की हो, लेकिन वह असल में हार चुकी है। वह इसे अपनी हार का बदला मानता है और मंगल से ताज छीनने की कसम खाता है। उधर, अदित न्यूज कवरेज देखकर हैरान रह जाता है। सौम्या मंगल पर आरोप लगाती है कि उसने जीतने के लिए नीच तरीके अपनाए हैं। कुसुम बच्चों को संभालती है और सौम्या से बहस करती है, मंगल की बेगुनाही की रक्षा करती है।
पुलिस की जांच और नया मोड़
पुलिस जांच में पता चलता है कि नायसा ने पूरे दिन कुछ नहीं खाया था, सिवाय उस डिश के जो मंगल ने फाइनल राउंड में बनाई थी। मंगल खुद का बचाव करती है, यह कहते हुए कि उसने सबके सामने खाना बनाया था और दूसरों ने भी वही खाना खाया था, लेकिन किसी को कुछ नहीं हुआ। पुलिस यह स्वीकार करती है, लेकिन चेतावनी देती है कि जांच पूरी होने तक कोई कहीं नहीं जा सकता।
लक्ष्मी का अपहरण और संघर्ष
इसी बीच, जिया लक्ष्मी का अपहरण कर लेती है, यह कहते हुए कि कार्तिक उसे भूल चुका है। लक्ष्मी महसूस करती है कि उसे फंसाया गया है। जिया उसके हाथ और मुंह बांधकर उसे सड़क के बीचोंबीच छोड़ देती है। संकट में फंसी लक्ष्मी, कार्तिक को याद करके अपनी ताकत जुटाती है और मुश्किल से एक बड़ा हादसा टालकर बच निकलती है।
लक्ष्मी की वापसी और जिया का षड्यंत्र
बाद में, जिया यह देखकर दंग रह जाती है कि लक्ष्मी जिंदा है। लक्ष्मी उसका सामना करती है, लेकिन जिया आत्मविश्वास से कहती है कि वह जल्द ही कार्तिक से शादी करेगी। लक्ष्मी जवाब देती है कि कार्तिक अभी भी उससे प्यार करता है और जल्द ही सच जान जाएगा। वह जिया को चेतावनी देती है कि उसकी साजिशें सबके सामने आ जाएंगी।
निष्कर्ष: सच्चाई की जीत की ओर
यह कहानी न सिर्फ प्रतियोगिता और जीत की है, बल्कि इंसानियत, त्याग और सच्चाई की भी है। मंगल और लक्ष्मी दोनों अपने-अपने संघर्षों से जूझ रही हैं, लेकिन उन्होंने हार मानने से इनकार कर दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की राह में सच्चाई की जीत कैसे होती है।